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National President's Message:

सम्मानित
नेताजी सुभाष न्यायरक्षकों,

                    नेताजी सुभाष संगठन आज 30 दिसम्बर 2024 को अपने "लक्ष्य न्याय " अभियान के दुसरे चरण की शुरुवात कर रहा हैँ, इस अभियान के अंतर्गत हम आगामी 3 वर्षो में पूरे देश में एक लाख "नेताजी सुभाष  न्यायरक्षक" बनाने जा रहे हैँ जिनका एक मात्र उद्देश्य देश में नेताजी के 'न्यायपूर्ण' भारत निर्माण के लिए वातावरण तैयार करना है |
             संगठन ने नेताजी सुभाष की के जन्मदिवस की पूर्व संध्या 22 जनवरी 2024 को दिल्ली प्रेस क्लब में "लक्ष्य न्याय" के अपने पहले संकल्प " नेताजी को आज़ादी आंदोलन में उनके योगदान के अनुरूप न्यायोचित सम्मान मिले " के पूरा होने की शुरूवात होने एवं विगत 25 वर्षो की अपनी अभियान यात्रा पर आधारित  "आभार प्रधानमंत्री मोदी" नाम से एक पुस्तिका का विमोचन किया |

 उक्त पुस्तिका  इंडिया गेट के सामने मोदी सरकार द्वारा  8 सितम्बर 2022 को अन्याय व गुलामी के प्रतीक जॉर्ज पंचम के स्थान पर न्याय व आज़ादी के प्रतीक नेताजी सुभाष की प्रतिमा  स्थापित कर मोदी सरकार द्वारा  नेताजी को आज़ादी की लड़ाई में उनके योगदान के अनुरूप जो न्यायोचित सम्मान देने की एक महत्वपूर्ण शुरुवात की है उसी के  आभार स्वरुप प्रकाशित किया | 

         विगत 25 वर्षो की अभियान यात्रा की पूरी यादें पुनः ताजी हो गयीं, इससे पहले की हम विगत 1997 से 2022 तक 25 वर्षो की अपनी अभियान यात्रा को संक्षिप्त में याद करें हम पूरे देश के सच्चे देशभक्त युवा साथियों एवं राष्ट्रीय जीवन के सभी क्षेत्रों से जुड़े अनुभवी लोगो से "नेताजी सुभाष न्यायरक्षक " के रूप में संगठन से जुड़ने की अपील करते है .......

         "याद रखिये सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना व गलत के साथ समझोता करना है |"- नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा कही गयीं यह बात विद्यार्थी जीवन से ही हमारे मानस पटल पर गूँजती रही इसका असर ये रहा की अपने माध्यमिक शिक्षा के समय अपने विद्यालय के प्रधानाध्यापक के अन्यायपूर्ण आचरण के विरुद्ध हमने जब आवाज़ उठाई तो कक्षा में पढ़ाई में प्रथम आने के बाद भी मुझे विद्यालय से "अनुशासन हीनता के कारण नाम पृथक " टिप्पणी के साथ निष्कासन झेलना पड़ा परन्तु इस घटना से अंतर्मन में अन्याय के विरुद्ध लड़ने की शक्ति जागृत हुई चाहे अन्यायी ताकत व पद में कोई कितना ही बड़ा क्यों ना हो |

      1997 में  प्रयागराज[ इलाहबाद]  में जब मैं स्नातक तृतीय वर्ष में था तब केंद्र की सरकार द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा था उसी कार्यक्रम में हमने तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयो जी का भाषण सुना जिसमे उन्होंने कहा की " नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का पुनर्नमूल्यांकन कर उन्हें  आज़ादी आंदोलन में उनके योगदान के अनुरूप न्यायोचित सम्मान दिया जाना चाहिए " बस यही से नेताजी के लिए कार्य करने का संकल्प लिया एवं 21 अक्टूबर 1997  को आज़ाद हिन्द सरकार के स्थापना दिवस पर जमुना जी के किनारे सरस्वती घाट पर 21 वर्ष की आयु में पहले कार्यक्रम के आयोजन के साथ ही नेताजी का कार्य प्रारम्भ किया |
सबसे बड़ी बात ये रही की जिस नेताजी ने भारत के लोगो को अन्याय के विरुद्ध लड़ने की सबसे बड़ी प्रेरणा दी उसी के साथ आज़ाद भारत में सबसे बड़ा अन्याय व गलत हुआ हमने यही संकल्प लिया की सबसे पहले "एक सूत्रीय लक्ष्य" पर कार्य किया जाए पहले नेताजी को न्यायोचित सम्मान दिलाया जाए फिर उनके न्यायपूर्ण भारत निर्माण में के कार्य में लगा जाए |

     नेताजी पर आयोजित पहले कार्यक्रम से पूर्व 1997 के सितम्बर महीने की 5 तारीख को श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी जी से मिलने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ,उन्होंने हमें मिलने का समय दिया उनसे हुई 15-20 मिनट की मुलाक़ात ने हमें नेताजी के लिए जीवन पर्यंत कार्य करने की अभूतपूर्व प्रेरणा  एवं आशीर्वाद दिया  |

         अटल जी से मिलकर जहाँ एक ओर नेताजी को न्यायोचित सम्मान दिलाने के लिए कार्य करने की प्रेरणा व आशीर्वाद मिला वही दूसरी ओर नेताजी की प्रमुख सहयोगी रही रानी झांसी रेजिमेंट की कैप्टन लक्ष्मी सहगल जी से 2005 में हुई विशेष मुलाक़ात में आज़ाद भारत में नेताजी अपने देशवाशियों एवं विशेष करके अपने समर्थको से क्या चाहते थे वह बाते जानकार मुझे जीवन पर्यंत नेताजी के सपनो के लिए कार्य करने की गौरवशाली प्रेरणा प्राप्त हुई |

                 आज जब हम नेताजी सुभाष न्यायरक्षकों के रूप में नेताजी के सपनो के भारत के निर्माण के लिए एक लाख न्यायरक्षकों का एक मजबूत संगठन तैयार करने जा रहे है तो हम अपनी अभियान यात्रा के दौरान उन लोगों को भी याद कर रहे हैँ जो हमारे बीच नहीं है  जिनमे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी,पूर्व विधयाक स्वर्गीय यदुनाथ सिंह जी,  पूर्व राज्यसभा सदस्य स्वर्गीय देवी प्रसाद त्रिपाठी, स्वर्गीय सुभाष पाण्डेय, स्वर्गीय पारस नाथ पाण्डेय, स्वर्गीय श्री लाल मनी पाण्डेय जी एवं विशेष तौर पर गुजरात के वरिष्ठ आई.ए.एस स्वर्गीय एस के नंदा जी प्रमुख हैँ जिन्होंने संगठन को अपना विशेष मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद दिया |

       एक बार पुनः हम आप सभी से नेताजी सुभाष संगठन से जुड़कर नेताजी सुभाष जी के सपनो के "न्यायपूर्ण देश " के निर्माण में एक न्यायरक्षक बनकर कार्य करने की अपील करता हूँ!

जय हिन्द!

अमित पाण्डेय

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